COVID-19 लॉकडाउन के समय घर पर पढ़ना और सीखना

COVID-19 महामारी के कारण सरकार ने इसके फैलाव को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगाया हुआ है। इस “COVID-19 लॉकडाउन” के कारण हमारे स्कूल भी बंद कर दिये गए। इस कारण हमें घर में ही रहकर online पढ़ाई करनी पढ़ रही है। इसके अतिरिक्त हमारे पास कोई अन्य कार्य नहीं है क्योंकि कोरोना के कारण बाहर जाकर खेलना या दोस्तों से मिलना भी बंद है। इसी कारण से  मैं घर में अकेलापन महसूस कर रहा हूं।

मेरी उम्र 17 साल है और मैं कक्षा 12 में पढ़ता हूँ। मेरा एक भाई और एक छोटी बहन भी है।

पहले मैं उनके साथ बहुत मस्ती करता था। लेकिन जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि किसी व्यक्ति से बात करना या लगातार एक ही प्रकार का काम करना आपको बोर कर देता है।

जो बात एक महीने पहले मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था, आज उसे देखकर विश्वास नहीं होता कि कभी ऐसा भी होगा जब हम बच्चों के लिए स्कूल जाना ही एक सपने जैसा हो जाएगा!

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कभी-कभी, मुझे यह लगता है कि स्कूल जाना बेहतर होगा, लेकिन अभी ये कब संभव होगा इसका कुछ पता नहीं?

मेरे घर पर मेरे माता-पिता दोनों एक सरकारी हॉस्पिटल में डॉक्टर हैं। इस कारण उनके पास छुट्टियां नहीं हैं, लेकिन कभी – कभी वे हम बच्चों के लिए करते हैं! उनकी वो छुट्टियाँ हमें किसी भी तरह पर्याप्त नहीं लगती हैं।

अस्पताल में इस समय मेरे माता-पिता को COVID-19 के रोगियों का इलाज इलाज़ करने की ज़िम्मेदारी मिली हुई है। जब वे घर पर होते हैं तो अक्सर एक-दूसरे से उनके स्वास्थ्य पर चर्चा करते हैं।

कभी-कभी, मुझे उनकी बातचीत डरावनी लगती हैं और माँ यह कहकर मुझे शांत करती हैं कि यह जल्द ही ये समाप्त हो जाएगा। फिर भी, मैं शायद ही उसकी व्याख्याओं से आश्वस्त हो पाता हूँ।

मुझे अपने दोस्तों से बात करने के लिए भी जब भी समय मिलता है, हम महामारी के कारण वर्तमान स्थिति और विशेष रूप से पर्यावरण पर इसके नुकसान एवं फायदों पर चर्चा करते हैं, क्योंकि इस समय लगभग पूरे विश्व के अनेक देश लॉकडाउन में हैं।

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कुछ दिन पहले, जब मैं अपने पिता के साथ रात में बालकनी में बैठे थे, उस समय मैंने आसमान की तरफ देखा तो वह मुझे पहले के मुक़ाबले कुछ बादल-बादल सा अधिक चमकदार लगा। मैंने ध्यान दिया तो मुझे आसमान में पहले से कहीं अधिक तारे दिखाई दिए। यहां तक ​​कि मेरे पिता ने भी मुझे बताया कि लॉकडाउन के बीच यमुना नदी भी पहले से साफ हो गई है।

इस लॉकडाउन के मेरे अनेक दोस्तों के माता-पिता भी अपने घर से कार्य करने के कारण घर पर ही हैं, मुझे यह भी लगता है कि इस कारण वो अपने बच्चों को भी समय दे पा रहे हैं और सभी एक साथ मस्ती कर रहे हैं। जबकि मेरे माता-पिता डॉक्टर होने के कारण हमें अपना समय नहीं दे पा रहे, क्योंकि इस महामारी के समय वो अस्पताल में रोगियों का इलाज कर रहे हैं। मैं सच कहूँ तो निश्चित रूप से, यह कुछ ऐसा है जो मुझे बहुत गौरवान्वित करता है। फिर भी, यह उनके घर पर होने जैसा नहीं है।

हालांकि, माता-पिता के घर पर न होने का एक फायदा यह है कि मुझे उनके वापस आने तक कोई काम नहीं करना पड़ता है। कुछ हफ़्ते पहले, मैं यह सोचकर घबरा गया था कि इस बार शायद मैं अपना जन्मदिन उसकी नियत तारीख पर नहीं मना पाऊँगा। क्योंकि पिछले तीन वर्षों से मेरा जन्मदिन उसकी नियत तारीख के दिन नहीं मनाया गया था, इसका कारण था कि मेरे माता-पिता उस समय शहर में फैले डेंगू, टाइफाइड, या निमोनिया के रोगियों के इलाज में व्यस्त थे। लेकिन इस बार मेरे लिए राहत की बात ये है, कि इस साल इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक मैं और मेरा परिवार सुरक्षित हैं।

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मुझे स्कूल की भी चिंता है, लेकिन मुझे आशा है कि वे छूटे हुए स्कूल के दिनों की भरपाई के लिए हमारी गर्मियों की छुट्टियां नहीं छीनेंगे। मैं हमेशा स्टेज़ प्रोग्राम (नाटक आदि) की कक्षाओं में भाग लेने का आनंद लेता था। लेकिन लॉकडाउन के कारण, हमे सिर्फ ज़ूम पर पढ़ाया जा रहा online ही पढ़ाया जा रहा है। इस कारण अब मैं उन कक्षाओं की सिर्फ कल्पना कर सकता हूं।

हमारे शिक्षकों के लिए भी ये कठिन समय है, क्योंकि उनमें से अधिकांश ने कभी इससे पहले इस प्रकार online पढ़ाने का अनुभव नहीं लिया है। वह भी अपने छात्रों की भलाई के लिए इसे सहज बनाने की कोशिश कराते हैं। दूसरी ओर, ये कक्षाएं हमारा भी कुछ भला ही कर रहीं हैं, क्योंकि अगर हम इस प्रकार भी नहीं पढ़ेंगे तो हमारे जीवन का एक बेशकीमती साल बर्बाद हो जाएगा।

सप्ताह के अंतिम दिनों में शिक्षक हमें काम देते हैं, जो मुझे कभी-कभी भारी लगता है, लेकिन एक प्रकार से ये हमारे खाली समय का फायदा हमे ही देने के लिए है, इसलिए यह प्रभावशाली है।

एक और चीज जो मुझे अपने अध्यापकों की पसंद है, वह यह है कि जिस तरह के प्रयास शिक्षक हमें नए-नए  तरीकों से सिखाने के लिए कर रहे हैं जैसे कि घर पर अपने क्रिया-कलापों के वीडियो बनाना और यहां तक ​​​​कि एक्टिंग के भी, इसके लिए उन्हें नमन!

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उन दिनों जब हमारे पास होमवर्क होता है, मेरे माता-पिता घर पर इसकी जांच करते हैं, जो अच्छा है क्योंकि काम पर थका देने वाले दिन के बाद भी वे हमारे साथ समय बिताते हैं।

लॉकडाउन के दौरान मैंने जो कुछ सीखा है, उनमें से एक मुख्य बात यह है कि मेरे माता-पिता अपने उदाहरण के माध्यम से याद दिलाते रहते हैं कि हमें हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए और आशा रखनी चाहिए कि सब कुछ शीघ्र सही हो जाएगा।

Shreshtha is a media professional with 6 years of experience in journalism, including 2 years as a freelance writer and 4 years in full-time roles. With degrees in mass communication and law, she specializes in business reporting and has 3000+ bylines to her credit. Passionate about journalism, she excels in storytelling, writing, researching, editing, reporting and team leading.

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