जैव-विविधता दिवस | ‘बकस्वाहा’ जंगल को बचाने की शपथ लें

22 मई को दुनियाभर अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस मनाया जाता है। यह सर्वप्रथम 1993 में मनाया गया था। पहली बार इसे 29 दिसंबर को मनाया गया था ।

लेकिन 2001 में इसे 29 दिसम्बर के स्थान पर 22 मई को मनाया गया और उसके बाद से अब ये हर वर्ष इसी दिन मनाया जाता है।

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जैव-विविधता दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में जैव विविधता के प्रति जागरूकता लाना है।

हम अपने आसपास ही देखे तो कुछ वर्षों में अनेक जीवों की संख्या में कमी आई हैं चाहे वो गौरेया हो या चील, गिद्ध हो या कौआ, मेंढक हो या सांप… कहीं न कहीं इनकी कमी जैव-विविधता को प्रभावित करती ही होगी…

मेंढक की कमी मच्छरों को बढ़ाएगी, सांप की कमी चूहों को…

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इस प्रकार के असंतुलन से जैव-विविधता खतरे में पड़ती जा रही हैं…

ऐसे अनेक जीव समाप्ति की ओर हैं और उनके कारण से खाद्य श्रंखला की कड़ी प्रभावित होती जा रही हैं…

जैव-विविधता इतनी आवश्यक है कि यदि खेत की मिट्टी को उर्वरक बनाने वाले सूक्ष्म जीव केंचुआ ना हो, गाय का नाइट्रोजन युक्त गोबर ना हो, परागण करने वाले मधुमक्खियां ना हो, कीटो पर नियंत्रण करने वाले पक्षी ना हो तो हमें खाने को कुछ ना मिले और धरती पर जीवन खत्म हो जाए…

और इन सबको नष्ट करने में सबसे आगे हम मनुष्य ही लगे हैं..

आज इंसान हर वो काम करने में लगा है जिससे धीरे-धीरे जैव-विविधता नष्ट होटी जा रही है …

ऐसी ही एक जैव-विविधता हमारे जंगलो में बसती हैं…

जंगल जीवो का संसार हैं वहाँ पेड़ों से पोषित होकर नदी निकलती हैं…

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नदी की गोद मे असंख्य जीव पलते हैं, पेड़ों के फलों पर आश्रित अनेक प्रजाति के पंछी निवास करते हैं…

पेड़ों की गोद मे बिछी घाँस शाकाहारी जीवों ओर शाकाहारी जीवों के संतुलन के लिये मांसाहारी जीवों की एक बड़ी श्रंखला इन जंगलों में पलती है…

जंगल काटने से मतलब केवल पेड़ों की कटाई नही हो सकती अपितु वहाँ बसी पूरी जैव-विविधता नष्ट हो जाती हैं…

आओ जैव-विविधता को बचाने के लिए हम अपने जीवन में जितना प्रयास कर सकते हैं उससे भी अधिक करने की कोशिश करें…

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क्योंकि जैव-विविधता हमारे जीवन का आधार हैं जिस दिन नष्ट हो जाएगी हमारा जीवन भी समाप्त हो जाएगा…

आज जैव-विविधता दिवस पर हम यह संकल्प लें कि जैव-विविधता से जुड़े मध्यप्रदेश के ‘बकस्वाहा’ जंगल को बचाने के लिए हम अपना पूरा सहयोग देंगे और उसे किसी भी कीमत पर नष्ट नहीं होने देंगे… SAVE BUXWAHA FOREST

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