Covid-19 Pandemic ने 2020 के आरम्भ से ही पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले रखा है। लगभग 1 साल से अधिक समय व्यतीत होने के बाद भी इससे छुटकारा पाने का कोई पुख्ता उपाय सामने नहीं आया है।
इस समय Covid-19 Pandemic के प्रकोप ने भारत में भी जैसे तांडव मचाया हुआ है! इस महामारी के कारण ना जाने कितने अनजाने और कितने ही जान – पहचान वाले अनायास मौत के आगोश में समा गए! कुछ तो मेरे इतने अपने थे जिनकी याद में मेरी आंखें नम हो जाती हैं।
विज्ञान के इस उच्चतम समय में भी Corona जैसे एक Virus के कारण जो भी मानव जाति का जो विनाश हो रहा है यह नहीं होना चाहिए? इस महामारी ने कुछ इतने दुखद क्षण दिखाए, जो मेरे दादा-दादी ने भी अपने जीवनकाल में भी कभी अनुभव नहीं किए थे।
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी अत्यधिक उन्नत है, लेकिन आज तक, पूरी दुनिया के वैज्ञानिक मिलकर भी Corona Virus “जिसकी पहली पहचान चीन के वुहान में हुई थी” के लिए एक स्थायी इलाज खोजने में विफल रहे हैं।
यह कोरोना वायरस हमें चेचक से भी अधिक संक्रामक और तीव्र श्वसन रोग देता है। यहाँ तक कि अगर मरीज का श्वसन रोग नियंत्रण में ना आए तो उसकी जान भी चली जाती है। दुर्भाग्य से, जिन लोगों को यह बीमारी हो जाति है, उनके साथ समाज के लोगों को भी अपनी सुरक्षा की खातिर एक दूरी बनानी पड़ती है। इस कारण से इस कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ व्यक्तियों को अकेलेपन के कारण तनाव और मौत का भय घेर लेता है।
Covid-19 Pandemic के इस वैश्विक प्रकोप ने हमें बताया है कि प्रकृति सर्वोच्च शक्ति है। इस महामारी से पहले, मैंने कई देशों को यह दावा करते हुए सुना था कि वे दुनिया में सबसे अधिक विकसित और ताकतवर हैं। लेकिन इस महामारी ने पूरी दुनिया को बता दिया है कि दुनिया का कोई भी देश सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से पूरी तरह विकसित नहीं है। उन सभी को अभी भी बहुत कुछ सुधार की जरूरत ह। कम से कम उस सीमा तक विकसित हों जहाँ वे आने वाले भविष्य में कोविड-19 जैसी किसी महामारी के अचानक हुये प्रकोप का इलाज शीघ्रता-शीघ्र खोजने में सक्षम हों।
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इस महामारी के दौरान न केवल भारत और चीन में, बल्कि दुनिया भर में जनजीवन ठप हो गया। यह देशों के लिए इस बीमारी की उत्पत्ति के बारे में विवाद या झगड़ा नहीं करने का समय है। यह महामारी का स्थायी इलाज खोजने के लिए एक दूसरे के साथ एकजुटता से खड़े होने का समय है। फिर भी, विभिन्न देशों के मतभेद स्पष्ट हैं। हम मनुष्यों के लिए दूसरों पर दोष थोपना सबसे सुविधाजनक लगता है, लेकिन हमें इस दृष्टिकोण को रोक देना चाहिए।
क्या यह महामारी बेहद दर्दनाक और जानलेवा है? हाँ, जैसा इसका प्रकोप दिखाई दे रहा है उस आधार पर निश्चित रूप से यह दर्दनाक और जानलेवा है।
विनाशकारी कही जाने वाली इस बीमारी ने आज दुनिया को एक पड़ाव दिया है, साथ ही एक अमूल्य अवसर भी दिया है कि दुनिया के इंसान ठहर कर सोचें कि उसने अपने अंधे विकास के नाम पर प्रकृति के साथ जो खिलवाड़ किया है उसे रोक दे।
इस महामारी ने हमे बताया है कि विज्ञान के मामले में हम अभी बहुत पीछे हैं और प्राकृतिक शक्तियाँ जब चाहें हमें चुटकियों में समाप्त कर सकती हैं।
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इसने हमें सिखाया कि विज्ञान की अंधी दौड़ से अलग हमें लोगों के स्वास्थ को प्रमुखता देनी होगी। अन्यथा किसी दिन ऐसे ही किसी वायरस के कारण पूरी दुनिया समाप्त हो जाएगी।
इससे हमें एहसास हुआ कि जीवन एक दौड़ नहीं है। इसने हमें हमारे परिवारों का महत्व, हमारी महत्वाकांक्षाओं पर जीवन का महत्व सिखाया है।
अब, प्रश्न हैं- अधिक लचीला कैसे बनें? कैसे बचे इस रोग से?
इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं था। सबसे खतरनाक बात यह थी कि जिस किसी को भी covid-19 का संक्रमण हुआ, उसे शुरू में इसका पता नहीं चलता था और जब तक उसे इसका पता चलता था, तब तक उसे पता ही नहीं चलता था कि उस समय तक उससे और कितने लोग संक्रमित हो चुके हैं।
महामारी के प्रकोप के बाद, कई अध्ययनों से पता चला है कि यह रोग मानव से मानव में फैल रहा था, लेकिन इसकी उत्पत्ति कैसे और वास्तव में कहाँ हुई है इसकी अभी पुष्टि नहीं हो पाई है।
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पूरे विश्व के देशों में इस संक्रमण को रोकने के लिए world health organization (WHO) द्वारा कई दिशा-निर्देश रखे गए हैं जो पूरी दुनिया के सभी लोगों के लिए एक समान ही हैं। ये दिशा निर्देश हैं:
किसी भी सतह को छूने के बाद अपने हाथों को कम से कम 20 सेकंड तक किसी साबुन से अवश्य धोएं
छींकते और खांसते समय अपना मुंह ढक लें, और इसके तुरंत बाद हाथों को किसी साबुन से अवश्य धोएं
कहीं भी कभी भी एक दूसरे से कम से कम दो गज़ की दूरी बनाएँ रखें एवं इस सोशल डिस्टेंसिंग का हर जगह पालन करें।
ना तो कहीं अधिक भीड़ वाले स्थान पर जाएँ और ना ही अपनी तरफ से कहीं लोगों की भीड़ इकठ्ठा करें। इस महामारी से बचाव के लिए इस समय पूरी दुनिया के अनेक देशों में लॉक डाउन लगा हुआ है
अन्य विचार भी सामने आए: शायद इस प्रकार के रोग मांसाहारी भोजन करने से होते हैं? हमें यह भी सलाह दी गई थी कि हाथ मिलाने से बचें और अपने भारतीय अभिवादन यानी नमस्ते का पालन करें। इसलिए मैं अपने देश की संस्कृति को नमन करता हूं और हमेशा उसका पालन करने का संकल्प लेता हूं।
पूरी दुनिया में भारत की संस्कृति ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उसकी विचारधाराएं इतनी महत्वपूर्ण क्यों हैं?
इतना Covid-19 Pandemic के कहर ने हमें सिखाया है।