Chaitra Navratri 2025: 30 मार्च से 6 अप्रैल तक चैत्र नवरात्रि, जानें अष्टमी एवं नवमी कब

हिंदुओं के पवित्र नवरात्र वर्ष में दो बार मनाए जाते हैं। एक बार हिन्दू नव वर्ष के आरंभ में जिन्हें  चैत्र (Chaitra Navratri 2025) या वसंतीय नवरात्र कहते हैं एवं दूसरी बार दीपावली से ठीक एक माह पहले उन्हें शारदीय नवरात्र कहा जाता है।

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) दुनिया भर के हिंदुओं के लिए बहुत महत्व का समय होता है, क्योंकि वैदिक शास्त्रों के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही सृष्टि का आरम्भ हुआ था। अतः वर्ष प्रतिपदा के दिन सृष्टि का जन्मोत्सव मनाया जाता है। ब्रह्म पुराण में लिखा है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ब्रह्मा जी ने इस जगत् की रचना की थी। इसी दिन से हिन्दू का नव वर्ष भी आरंभ होता है जिसका प्रथम महिना ‘चैत्र’ के नाम से ही जाना जाता है।

चैत्रे मासि जगद् ब्रह्मा ससर्ज प्रथमेऽहनि।

हिन्दू धर्मालंबियों में चैत्र नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता है, शास्त्रों के अनुसार माँ दुर्गा की नौ शक्तियाँ हैं जो उनके नौ रूपों में समाई हैं। इस प्रकार नवरात्र का प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक अलग रूप/शक्ति को समर्पित होता है। इस अवधि के दौरान, भक्त पूजा करते हैं, अनुष्ठान करते हैं और देवी का आशीर्वाद पाने के लिए उपवास करते हैं। माना जाता है कि माँ दुर्गा शक्ति की प्रतीक हैं।

हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ ‘बाल्मीकि रामायण’ के अनुसार श्री राम का जन्म भी चैत्र के शुक्ल पक्ष की नवमी को ही हुआ था। अतः चैत्र नवरात्र को राम जन्म से जोड़कर भी देखा जाता है एवं इन नवरात्र की नवमी को ‘राम नवमी’ भी कहा जाता है।

इस बार वासन्तीय/चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) रविवार 30 मार्च से प्रारम्भ होकर 06 अप्रैल रविवार तक आठ दिन में ही सम्पन्न होंगे। क्योंकि इस बार तृतीया तिथि का क्षय हो रहा है अतः द्वतीया एवं तृतीया का व्रत और पूजा एक ही दिन 31 मार्च को होगी।

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चैत्र नवरात्रि 2025 घट स्थापना मुहूर्त (Chaitra Navratri 2025 Ghatsthapana Muhurat)

कलश स्थापना मुहूर्त : रविवार 30 मार्च 2025 प्रातः 06:15 –  प्रातः 10:25 एवं दोपहर 11:52 से 12:15

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्र के आरंभ के शुभ मुहूर्त की बात करें तो प्रतिपदा तिथि 29 मार्च 2025 दिन शनिवार के शाम 04:27 से 30 मार्च को दोपहर 12:39 तक रहेगी। 30 मार्च को उदयाव्यापानी प्रतिपदा  में कलश स्थापना का सबसे उपयुक्त समय सुबह 6:15 से 10:20 के मध्य एवं दोपहर 11:52 से 12:15 के बीच होगा।

नवरात्र के निमित्त कलश स्थापन न तो अमावास्या तिथि में करना चाहिए और न ही द्वितीया तिथि में करना चाहिए। प्रतिपदा क्षय हो तो अमावस्या युत प्रतिपदा में कलश स्थापना करें। द्वितीया युक्त प्रतिपदा कलश स्थापन में अत्यन्त सुखद है।

इस वर्ष के नवरात्र में ज्योतिषीय दृष्टि से सर्वार्थ सिद्धि योग के अतिरिक्त गजकेसरी योग, इंद्र योग, बुधादित्य योग, शुक्रादित्य योग,  लक्ष्मी नारायण जैसे  कई महत्वपूर्ण योग नवरात्रि की आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाएंगे:

सर्वार्थ सिद्धि योग: कई दिनों में होने वाला एक अनुकूल समय, जो प्रार्थनाओं को अधिक प्रभावी बनाता है।

अमृत सिद्धि योग: देवी दुर्गा के विशेष अनुष्ठान करने के लिए आदर्श।

गजकेसरी योग: वित्तीय वृद्धि और स्थिरता के लिए लाभकारी।

अष्टमी एवं नवमी तिथि

अष्टमी और नवमी चैत्र नवरात्रि के सबसे महत्वपूर्ण दिन हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस समय माँ आदिशक्ति अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आती हैं। अष्टमी, जो त्योहार के आठवें दिन आती है, एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है, और देवी को विस्तृत पूजा अनुष्ठानों और प्रसाद द्वारा प्रसन्न किया जाता है। नवमी, जो नौवें दिन पड़ती है, त्योहार का अंतिम दिन होता है, और इसे बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।

भक्तों का मानना है कि इन दो दिनों में व्रत रखने, पूजा करने से वे माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन में सफलता, समृद्धि और खुशियां प्राप्त कर सकते हैं। अष्टमी और नवमी को भी महान आध्यात्मिक महत्व के दिन माना जाता है, और कई भक्त इस समय का उपयोग अपने जीवन को सुखमय करने, आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करने और आदिशक्ति माँ दुर्गा के साथ अपने भक्ति भाव  को गहरा करने के लिए करते हैं।

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी एवं नवमी पर क्या करें :

नवरात्रि के दौरान की जाने वाली सामान्य पूजा अनुष्ठानों के अलावा, अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन की विशेष परंपरा है। इस अनुष्ठान को कन्या पूजन के रूप में जाना जाता है और इसे नवरात्रि समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

चैत्र नवरात्रि 2025 में कब है अष्टमी  ? (Chaitra Navratri 2025 Ashtami)

सभी जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन को महा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है, जो इस बार 5 अप्रैल, 2025 को शनिवार के दिन है। यह दिन माँ दुर्गा के आठवें अवतार माँ महागौरी की पूजा के लिए समर्पित है।

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि इस बार 4 अप्रैल, 2025 को रात 8 बजकर 11 मिनट पर आरंभ होकर अगले दिन 5 अप्रैल शनिवार को रात 7 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। अतः उदयतिथि के अनुसार अष्टमी 5 अप्रैल के दिन ही मनाई जाएगी है।

भक्त इस दिन माँ महागौरी का आशीर्वाद लेने के लिए उपवास करते हैं और विशेष पूजा अनुष्ठान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि माँ महागौरी पवित्रता, शांति और शांति का प्रतीक हैं और इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति को आंतरिक शांति और आध्यात्मिक विकास प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

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चैत्र नवरात्रि 2025 अष्टमी के शुभ योग :

नवरात्र में बन रहे अन्य शुभ योग के साथ ही ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस वर्ष महा अष्टमी के दिन भी दुर्लभ योग भी बन रहे हैं, जिसमें भद्रावास योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। शुभ योग में माँ दुर्गा की पूजा करने से साधक की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। शुभ योग का समय पूजा करने और देवी का आशीर्वाद लेने के लिए एक शुभ समय माना जाता है। भक्तों का मानना है कि इस दौरान उपवास और पूजा अनुष्ठान करने से, वे अपने मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं और एक सफल और समृद्ध जीवन जीने के लिए माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

  • भद्रावास योग – 4 अप्रैल, रात 11.36 – 5 अप्रैल, प्रात: 07.44
  • सुकर्मा योग – 4 अप्रैल, रात 08.03 – 30 मार्च, सुबह 06.14

इस दिन कुल देवी की पूजा करने के साथ ही छोटी कन्याओं की पूजा करने का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि कम आयु की कन्याएँ माँ आदिशक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनकी पूजा करके कोई भी देवी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। भक्त लड़कियों को भोजन, कपड़े और अन्य उपहार सम्मान के रूप में देते हैं और उनका आशीर्वाद माँगते हैं।

अष्टमी कन्या पूजन मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04 बजकर 35 मिनट से 05:22 मिनट तक

प्रातः सन्ध्या : सुबह 04 बजकर 58 मिनट से 06:07 मिनट तक

अभिजित मुहूर्त : सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

इसके अलावा अष्टमी के दिन सुहागिन को सुहाग की सामग्री भेंट करना भी शुभ माना जाता है। यह परंपरा भारत के कई हिस्सों में प्रचलित है, जहां विवाहित महिलाओं को उनकी सास या परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा उपहार भेंट किए जाते हैं। सुहाग की सामग्री में आमतौर पर सौंदर्य प्रसाधन, मेंहदी, चूड़ियाँ और अन्य सामान शामिल होते हैं जिनका उपयोग विवाहित महिलाएँ खुद को सजाने के लिए करती हैं।

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चैत्र नवरात्रि 2025 नवमी कब ? (Chaitra Navratri 2025 Navami Date)

नवमी, चैत्र नवरात्रि का नौवां और अंतिम दिन, हिंदुओं के लिए बहुत महत्व का दिन है। इस वर्ष, नवमी 6 अप्रैल, 2025, रविवार को पड़ रही है, और इसे महानवमी के रूप में जाना जाता है। इस दिन भक्त माँ दुर्गा के नौवें अवतार माँ सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं।

चैत्र शुक्ल नवमी तिथि 5 अप्रैल, 2025 को रात्रि 07.26 बजे से प्रारंभ होकर 6 अप्रैल, 2025 को रात्रि 07.22 बजे समाप्त होगी। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ समय के दौरान पूजा अनुष्ठान करने से भक्तों को अपार आशीर्वाद और समृद्धि मिल सकती है।

साथ ही इस दिन रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और सुकर्मा योग तीन शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन को शुभ बनाकर इसके महत्व को और बढ़ा देते हैं। शुभ योग के दौरान पूजा अनुष्ठान करने वालों के लिए अत्यधिक लाभ मिलता है।

भक्त इस दिन आदिशक्ति का आशीर्वाद लेने के लिए उपवास करते हैं और विशेष पूजा अनुष्ठान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है और जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।

चैत्र नवरात्रि 2025 नवमी के शुभ योग :

  • रवि पुष्य योग – 6 अप्रैल, प्रातः 06.187 अप्रैल, सुबह 06.17
  • सुकर्मा योग – 6 अप्रैल, प्रातः से शाम 06.55
  • सर्वार्थ सिद्धि योग – पूरे दिन

नवमी कन्या पूजन मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04 बजकर 35 मिनट से 05:22 मिनट तक

प्रातः सन्ध्या : सुबह 04 बजकर 58 मिनट से 06:07 मिनट तक

अभिजित मुहूर्त : सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथियों के दिन (Chaitra Navratri 2025 Tithi)

  • प्रथम दिन    (30 मार्च 2025)       प्रतिपदा तिथि – माँ शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
  • दूसरा दिन    (31 मार्च 2025)      द्वितीया तिथि प्रातः 09:12 तक  – माँ ब्रह्मचारिणी पूजा इसके बाद तृतीया लगेगी लेकिन उसका क्षय होगा
  • तीसरा दिन   (1 अप्रैल 2025)      चतुर्थी तिथि – माँ कुष्माण्डा पूजा
  • चौथा दिन     (2 अप्रैल 2025)      पंचमी तिथि – माँ स्कंदमाता पूजा
  • पांचवां दिन   (3 अप्रैल 2025)      षष्ठी तिथि – माँ कात्यायनी पूजा
  • छठा दिन      (4 अप्रैल 2025)     सप्तमी तिथि – माँ कालरात्री पूजा
  • सातवां दिन   (5 अप्रैल 2025)      अष्टमी तिथि – माँ महागौरी पूजा, महाष्टमी
  • आठवां दिन   (6 अप्रैल 2025)      नवमी तिथि – माँ सिद्धीदात्री पूजा, महानवमी, राम नवमी, Ram Navami 2025)

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इस दिन कुल देवी की पूजा अर्चना करने के बाद नौ कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराया जाता है। इन लड़कियों को आदिशक्ति माँ दुर्गा का रूप माना जाता है, और उन्हें भोजन और उपहार देना आशीर्वाद और सौभाग्य लाने वाला माना जाता है।

इस दिन घरों में कन्या पूजन के अलावा यज्ञ और हवन भी किया जाता है। मान्यता है कि हवन के बाद ही नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा सफल होती है।

इसके अलावा कुछ लोग इस दिन संध्या पूजन के बाद नवरात्रि का व्रत भी रखते हैं। अगले दिन पूजा-अर्चना के बाद व्रत तोड़ा जाता है।

कुल मिलाकर, कन्या पूजन और अष्टमी और नवमी पर यज्ञ और हवन की परंपरा नवरात्रि समारोह का एक अभिन्न अंग है। इन अनुष्ठानों को भक्ति और ईमानदारी के साथ करने से, कोई भी दिव्य माँ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकता है।

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