वीर बालक ‘हकीकत राय’ का जन्म मुगलों के शासनकाल में स्यालकोट (जो वर्तमान पाकिस्तान में है) हुआ था। जिसे 1734 में उस समय के मुस्लिम शासन ने ईश-निंदा के आरोप में बहरामी से मरवाया था।
जिस दिन हकीकत राय का ये बलिदान हुआ था वो वसंत पंचमी का ही दिन था।
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वसंत -पंचमी दे रही संदेश ये
वीर- भूमि है हमारा देश ये
सिर कटा कर धर्म की रक्षा करें
अन्यायी हो बलवान तो भी न डरें॥
तेरह बरस का हिंदू बालक था हकीकत
अभिमान था निज धर्म पे, करता था इज़्ज़त
मुल्ला के मकतब में वो करता था पढ़ाई
मुसलमानों से वहां हो गई लड़ाई ॥
मुसलमानों ने बजाकर तालियां
‘दुर्गा भवानी’ को निकाली गालियां
बालक हकीकत चुप नहीं तब रह सका
अपमान अपने इष्ट का ना सह सका॥
‘फातिमा बीबी’ को वैसा कह दिया
हाय तौबा मच गई, ये क्या हुआ !
हमला किया काफिर ने है इस्लाम पर
गुस्ताखी है प्यारे नबी की शान पर॥
फिर बैठा काजी शरीयत के पन्ने खोलकर
राजसत्ता की खुमारी घोलकर
मौत का फतवा सुनाया मोमिनो ने
रहम बालक पर ना खाया जालिमों ने॥
फिर लगे कहने कि तू हो जा मुसलमाँ
माफ हो जाएंगे तेरे सब गुनाह
पर हकीकत था अटल निज धर्म पर
विश्वस्त था कि, न्याय करता ईश्वर॥
आ गया फरमान जमीं में गाड़ दो
सारे मुस्लामा मिल पत्थरों से मार दो
कर देना फिर सर भी तन से जुदा
सबक रहेगा काफिरों को ये सदा॥
त्राहि – त्राहि कर उठे नारी व नर
कोई न था जो बचा सकता उसका सर
प्राण देकर धर्म की रक्षा करी
उम्र छोटी में थी कुर्बानी बड़ी॥