ऐनी-फ्रैंक की डायरी | “एक बहादुर ‘यहूदी’ लड़की”

ऐनी-फ्रैंक की डायरी -“वह थी एक बहादुर ‘यहूदी’ लड़की” उसके बारे में लिखा गया यह लेख आपको भाव विभोर कर सकता है मगर सत्य को सामने लाना आवश्यक है।

कृपया लेख को सकारात्मक लें

हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार “जब भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण करके मनु को बचाया था।  तब मनु ने उनसे पूछा था कि क्या इस प्रकार की समस्या पृथ्वी पर दोबारा नही आएगी।

उस समय भगवान विष्णु ने कहा एक समय आएगा जब प्रलय के लिये पानी की आवश्यकता ही नही होगी अपितु तुम्हारे वंशज स्वयं ही रक्त से इसे डूबा देंगे।

बात 1935 की है जब ऐनी फ्रैंक (Anne Frank) 5 वर्ष की थी और जर्मनी में हिटलर की सरकार बन चुकी थी। हिटलर ने यहूदियों को बुरी तरह से मारना शुरू कर दिया था।

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ऐनी फ्रैंक का पूरा नाम एन्नेलिस मैरी फ्रैंक (Annelies Marie “Anne” Frank) था, वो भी एक यहूदी थी, उसका जन्म 12 जून 1 9 2 9 को जर्मनी में हुआ था, यह समय दो विश्व युद्धों के बीच का विनाशकारी समय।

ऐनी के पिता ऑटो बड़े कारोबारी थे वे हिटलर से बचने के लिये नीदरलैंड आ गए, दुर्भाग्य वश हिटलर ने नीदरलैंड को भी जीत लिया और वहाँ भी जर्मनी वाले हथकंडे अपनाये।

ऑटो ने एक मील सीक्रेट अनेक्स के ऊपर बने छोटे से गुप्त अपार्टमेंट में शरण ली और अपने कुछ सहयोगियों की मदद से वहाँ 2 वर्ष निकाल दिये।

उन्हीं दिनो ऑटो ने एनी को एक डायरी दी थी जिसकी वजह से यह पोस्ट लिखनी पड़ी। एनी ने हिटलर द्वारा लोगों को प्रताड़ित किये जाने की एक-एक घटना का वर्णन उस डायरी में किया।

सीक्रेट अनेक्स के तीसरे माले पर यह यहूदी परिवार छिपा हुआ था और नीचे दो माले पर मजदूर काम करते थे। इसलिए ऑटो ने साफ कहा था कि दिन में 8 से 6 के बीच कोई चूँ भी ना करे। यहाँ तक कि पानी भी ना पिये और ना ही खाना पकाये, यहाँ तक कि चलने को भी मना किया हुआ था, इशारे तक करने के लिए मना किया था। खौफ का अंदाजा आप स्वयं लगा सकते हैं।

यहूदी परिवार ने 2 वर्ष ऐसे ही निकाल दिये और अतंतः खुशखबरी मिली कि मित्र देशों की सेना ने नीदरलैंड में जर्मनी से युद्ध शुरू कर दिया। परिवार बड़ा खुश हो जाता है मगर 1944 में ही एक मजदूर की पत्नी को आभास हो गया कि तीसरे माले पर कोई है। उसने पुलिस को बता दिया और अंततः पूरे परिवार को कंसन्ट्रेशन कैम्प में भेज दिया गया।

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ऑटो फ्रेंक को पुरुष होने के कारण अलग कर दिया गया, एनी और उसकी बहन मार्गो को अपनी माँ से अलग कर दिया गया। माँ को जर्मन सेना ने मौत के घाट उतार दिया, वही एनी और मार्गो को एक ऐसे कैम्प में भेजा गया जहाँ हर तरफ कीचड़ मचा हुआ था और एक कैम्प में 1500 से ज्यादा लोग ठूस दिए गए थे।

कैंप में 5 दिनों की भूख से दोनों बहनें मर गयी।

जर्मन सैनिक एक ब्रेड उछालते और जब यहूदी आपस मे लड़ते तो वे बड़ा मजा करते थे, यह मानवता का सर्वोच्च पतन था।

ऑटो फ्रेंक जीवित रहे और अपने परिवार की मृत्यु की सूचना से वे टूट गए, दुर्भाग्य यह था कि एनी की मृत्यु के 2 हफ्ते बाद ही नीदरलैंड को आजाद कर लिया गया।

एनी की डायरी उनके घर सीक्रेट अनेक्स से उनकी फैमिली फ्रेंड को मिली।

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जिसे उन्होंने बाद में पत्रकारों को दे दिया, यह डायरी पुस्तक बनी और बाइबिल के बाद सबसे ज्यादा बिकी।

उनके फैमिली फ्रेंड ने उस डायरी को कभी नही पढ़ा था और उन्होंने कहा कि अगर यह डायरी पढ़ी होती तो वे इसे जला देती क्योंकि इसमें यहूदी परिवार की मदद करने वालों के नाम थे जिसमें हमारा नाम भी था। यदि जर्मनों के हाथ यह लग जाती तो हमारी मौत पक्की थी।

हिटलर सदा ही आर्यन रेस का समर्थक था काश उसने आर्य शब्द का सही अर्थ भी खोजा होता, महर्षि मनु ने कहा है जो मानवता के सकारात्मक विकास में सतत भूमिका निभाये वह आर्य है। आर्य कोई रेस नही है वह आपके कर्मों का सर्टिफिकेट है। यदि हिटलर इतनी सी बात समझता तो मानवता कभी शर्मसार नही होती।

एनी फ्रेंक जिस सीक्रेट अनेक्स में छिपी थी अब उसे म्यूजियम बना दिया गया है साथ ही एनी का एकमात्र वास्तविक वीडियो भी यूटयूब पर उपलब्ध है जिसमे वो सिर्फ 4 सेकंड के लिये देखी जा सकती है उसकी लिंक मेरे टेलीग्राम एकाउंट पर मिल जाएगी।

परख सक्सेना https://t.me/aryabhumi

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