Hariyali Teej 2025 : हरियाली तीज प्रेम, वर्षा और भक्ति का पर्व

हरियाली तीज : Hariyali Teej 2025

हरियाली तीज, जिसे श्रावणी तीज या छोटी तीज भी कहा जाता है, उत्तर भारत और उत्तर-पश्चिम भारत के राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और हरियाणा में विवाहित हिन्दू महिलाओं द्वारा धूमधाम से मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। हिन्दू मान्यता के अनुसार यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जब वर्षा ऋतु अपने पूर्ण यौवन पर होती है और प्रकृति हरी-भरी हो जाती है। इसलिए इसे “हरियाली तीज (Hariyali Teej)” यानी “हरियाली वाली तीज” कहा जाता है।

“हरियाली” का अर्थ है हरापन या हरियाली, और “तीज” का अर्थ है तीसरा दिन। यह त्योहार विवाहित/सुहागन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जो अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए व्रत करती हैं।

पौराणिक महत्व:

हरियाली तीज का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती की कथा से है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई जन्मों तक कठोर तपस्या की थी। अंततः श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से यह दिन पति-पत्नी के प्रेम, निष्ठा और समर्पण के प्रतीक रूप में मनाया जाता है।

व्रत और परंपराएं:

  1. व्रत (उपवास)

विवाहित महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं यानी पूरे दिन न तो अन्न ग्रहण करती हैं और न ही जल। यह व्रत वे अपने पति की दीर्घायु और सुखी दांपत्य जीवन की कामना से करती हैं। कुंवारी कन्याएं भी अच्छा वर पाने की प्रार्थना के साथ यह व्रत रखती हैं।

  1. झूला झूलना और लोकगीत

Hariyali Teej की सबसे सुंदर परंपराओं में से एक है झूला झूलना। पेड़ों पर रंग-बिरंगे झूले डाले जाते हैं और महिलाएं सज-धज कर लोकगीत गाते हुए झूला झूलती हैं। इन गीतों में राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती और वर्षा ऋतु की सुंदरता का वर्णन होता है।

  1. मेहंदी लगाना

हरियाली तीज वाले दिन महिलाओं द्वारा हाथों पर मेहंदी लगाना बहुत शुभ माना जाता है। महिलाएं अपने हाथ-पैरों पर सुंदर-सुंदर मेहंदी के डिज़ाइन बनवाती हैं, जो सौंदर्य, समृद्धि और शुभता का प्रतीक होते हैं।

  1. सोलह श्रृंगार और हरे वस्त्र

महिलाएं हरे रंग के परिधान, हरे चूड़ियाँ, बिंदी और गहनों से सोलह श्रृंगार करती हैं। हरा रंग प्रकृति, नवजीवन और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन नवविवाहित महिलाएं अपने मायके जाकर  त्योहार का आनंद लेती हैं।

  1. पूजन विधि

इस दिन माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। महिलाएं सिंदूर, बिंदी, चूड़ियाँ, फल, फूल, मेवे और मिठाइयों सहित सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करती हैं और शिव-पार्वती की कथा सुनती हैं।

क्षेत्रीय विशेषताएँ:

🌸 राजस्थान

राजस्थान में यह त्योहार अत्यंत भव्य रूप से मनाया जाता है। पार्वती माता की सजी हुई झांकियाँ, हाथी-घोड़े, लोक नृत्य और मेले इस दिन की खासियत होते हैं, विशेषकर जयपुर में।

🌸 हरियाणा

यहाँ राज्य सरकार महिलाओं के लिए छुट्टी घोषित करती है और उन्हें तीज गिफ्ट भी वितरित करती है। कई स्कूलों और दफ्तरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

🌸 उत्तर प्रदेश और बिहार

यहां महिलाएं समूहों में इकट्ठा होकर लोकगीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और घरों में पारंपरिक मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।

अन्य तीजों से अंतर:

भारत में तीन प्रमुख तीज पर्व मनाए जाते हैं:

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तीज का नाम           :       समय                       :          महत्व

हरियाली तीज          :      श्रावण शुक्ल तृतीया     :          शिव-पार्वती के मिलन की स्मृति
कजरी तीज             :      भाद्रपद कृष्ण पक्ष        :          कृषक जीवन, फसल और वर्षा से जुड़ी तीज
हरतालिका तीज      :      भाद्रपद शुक्ल तृतीया    :          पार्वती की तपस्या और संकल्प की स्मृति

पकवान और मिठाइयाँ:

हरियाली तीज के दिन महिलाएं विशेष व्यंजन बनाती हैं, जैसे:

  • घेवर – चीनी की चाशनी में भीगी हुई झरने जैसी मीठी मिठाई
  • खीर, पूरी, मालपुआ, बेसन के लड्डू, गुजिया आदि
  • मिठाइयाँ उपहार स्वरूप ससुराल और मायके दोनों जगह भेजी जाती हैं
हरियाली का महत्व:

इस पर्व में हरा रंग विशेष रूप से महत्व रखता है, जो दर्शाता है:

  • प्रकृति और नवजीवन
  • सुख और सौभाग्य
  • वैवाहिक जीवन की स्थिरता
  • वर्षा ऋतु की ताजगी और समृद्धि

यह माता पार्वती का प्रिय रंग माना जाता है, इसीलिए महिलाएं हरे वस्त्र, चूड़ियाँ और बिंदी पहनती हैं।

हरियाली तीज केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह प्रकृति की सुंदरता, स्त्रीत्व की शक्ति, प्रेम, भक्ति और पारिवारिक मूल्यों का उत्सव है। यह महिलाओं को सामूहिक रूप से अपने वैवाहिक जीवन के प्रति आभार व्यक्त करने और धार्मिक, सांस्कृतिक परंपराओं में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है।

वर्षा की फुहारों और हरियाली के बीच यह पर्व भारतीय संस्कृति की जीवंतता का प्रतीक बन जाता है।